About SP Mittal
वर्ष 2016 में मेरी उम्र 54 वर्ष है और मैं करीब 33वर्षों से पत्रकारिता कर रहा हंू। पत्रकारिता की घुट्टी जन्मजात है। मेरे पिता स्व.कृष्ण गोपाल जी गुप्ता जो भभक पाक्षिक पत्र निकालते रहे। उससे मैंने पत्रकारिता का सबक सीखा। इसके बाद मैंने देश के प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों में काम किया और अक्टूबर 2014 में सोशल मीडिया पर अपने ब्लॉग पोस्ट करने लगा। मैंने जब ब्लॉग पोस्ट करना शुरू किया, तब उम्मीद नहीं की कि इतनी जल्दी लाखों लोगों तक मेरा लेखन पहुंच पाएगा। मीडिया के प्रतिस्पर्धा के इस दौर में जब टीवी वाले अपनी न्यूज मुफ्त में दिखा रहे हैं और अखबार वाले आधी कीमत में अखबार दे रहे हैं, तब यदि कोई ब्लॉग देशभर में पढ़ा जाए तो यह अपने आप में अजूबा है। चूंकि मेरा जीवन ही पत्रकारिता है, इसलिए जब भी कोई नया काम करता हंू तो पूरी शिद्दत के साथ लगा रहता हंू। आज में तीन मोबाइल फोन के जरिए देशभर के 700 वाट्स-एप ग्रुप्स से जुड़ा हुआ हंू। इसके साथ ही मेरे (spmittal.blogspot.in) पर 50 हजार से भी ज्यादा पाठक है। मैं वाट्स-एप पर जो ब्लॉग पोस्ट करता हंू उसे चाहने वाले दूसरे वाट्स-एप ग्रुप में डाल देते हैं। यानि मेरे ब्लॉग की खबरें सिर्फ 750 ग्रुप्स में नहीं, बल्कि हजारों वाट्स-एप ग्रुप में खबरे पढ़ी जाती हैं। ट्विटर, फेसबुक और मेरी ब्रॉडकास्ट लिस्ट के माध्यम से भी हजारों लोग ब्लॉग पढ़ते हैं। यही वजह है कि जो सम्मान मुझे गत डेढ़ वर्षों से मिला, उतना सम्मान और पहचान पिछले तीस वर्षों में नहीं मिली, हर रोज वाट्स-एप ग्रुप्स के माध्यम से सैकड़ों लोग नए जुड़ते हैं। सोशल मीडिया के दायरे को आगे बढ़ाते हुए अब में पाठकों के सामने (spmittal.in) की वेबसाइट प्रस्तुत कर रहा हंू। मुझे उम्मीद है कि इस वेबसाइट के माध्यम से भी हजारों लोग मेरे ब्लॉग को पढ़ेंगे।
मैं राजस्थान के अजमेर शहर में निवास करता हंू मेरा यह सौभाग्य है कि अजमेर में जहां एक ओर हिन्दुओं के तीर्थ गुरु पुष्कर राज हैं तो दूसरी ओर दुनियाभर के मुसलमानों के मन मेंअकीदत रखने वाली सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह है। अजमेर में ही भारत के अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान का तारागढ़ का ऐतिहासिक किला भी है। ऐसी पवित्र और ऐतिहासिक धरती से जब में लिखता हंू तो मुझे एक विशेष आध्यात्मिक अनुभूति होती है। यही वजह है कि सम्पूर्ण अजमेर जिले और राजस्थान में रोजाना मेरे ब्लॉग का इंतजार रहता है। देश के प्रमुख महानगरों से भी मैं वाट्स-एप ग्रुप के माध्यम से जुड़ा हुआ हंू। सोशल मीडिया की वजह से मुझे आज किसी दूसरे मीडिया पर निर्भर रहने की जरुरत नहीं है। यही वजह है कि मैं पूरी स्वतंत्रता और निडरता के साथ अपने ब्लॉग पोस्ट करता हंू। मैं यह नहीं कहता कि सोशल मीडिया पर रोजाना दो-तीन ब्लॉग पोस्ट कर मैंने कोई नया प्रयोग किया है। मुझसे पहले और वर्तमान में भी ब्लॉग पोस्ट किए जा रहे हैं, लेकिन मैंने यह महसूस किया है कि इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के बीच सोशल मीडिया ने अपनी जबरदस्त उपस्थित दर्ज करवाई है।
मेरी पत्रकारिता की यात्रा में दैनिक राष्ट्रदूत, दैनिक भास्कर, दैनिक नवज्योति, दैनिक पंजाब केसरी आदि अखबारों का सहयोग तो रहा ही है, लेकिन वर्ष 2000 में जब मैंने सम्पूर्ण उत्तर भारत में पहली बार केबल नेटवर्क पर न्यूज चैनल शुरू किया तो मुझे सीखने का जोरदार अवसर मिला। जिलेभर के केबल ऑपरेटरों की मदद से जब एक घंटे की न्यूज का प्रसारण हुआ तो अजमेर सहित राजस्थान भर में तहलका मच गया। हालांकि साधनों के अभाव और बड़े मीडिया घरानों के केबल में कूद पडऩे से मुझे अपना अजमेर अब तक नामक चैनल बंद करना पड़ा। 17 नवम्बर 2005 को जब मैंने देश के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से अजमेर के सर्किट हाऊस में व्यक्तिगत मुलाकात की तो मुझे एक सुखद अनुभूति हुई। इस मुलाकात को लेकर मैंने भभक पाक्षिक पत्र में जो आलेख लिखा, उस पर मुझे कलाम साहब का एक ऐसा पत्र प्राप्त हुआ जिसने मुझे पत्रकारिता का सबसे बड़ा सम्मान दिलवा दिया। एपीजे अब्दुल कलाम जैसा राष्ट्रपति यदि किसी पत्रकार के लिखे को पढ़े और फिर उज्ज्वल भविष्यकी कामना करें तो इससे बड़ा पुरस्कार और क्या हो सकता है। कलाम साहब ने मेरे लिखे पर एक बार नहीं बल्कि दो बार अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की। यूं तो मेरे लिखे की गूंज राजस्थान विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में हुई है, लेकिन मेरी पत्रकारिता की सबसे बड़ी सफलता यही है कि मैं आज भी नियमित लिख रहा हंू। मैं उम्मीद करता हंू कि पाठकों के सामने मैंने यह जो वेबसाइट प्रस्तुत की है, उसके माध्यम से मेरे लिखे को और ज्यादा लोग पढ़ सकेंगे। इस संबंध में यदि किसी पाठक के पास कोईसुझाव हो तो अवश्य दें।
आपका एस.पी.मित्तल।
by C####:
Sir, thanks for being available through app. Now we can get in touch with you easily..