About RTI India
RTI in hindi format RTI (सूचना का अधिकार ) क्या है : सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत वह अधिकार है जो एक तरह से आम जन को सशक्त बनता है क्योकि सूचना के अधिकार के अंतर्गत वह किसी भी सरकारी महकमे से कुछ भी जानकारी मांग सकता है जिसमे उसे लगता है कि पारदर्शिता नहीं है या फिर अपनी जानकारी के लिए भी वह सूचना के अधिकार का प्रयोग कर सकता है |
official भाषा में हम कह सकते है कि सूचना का अधिकार वह है जिसमे संविधान की धारा 19 (1) के तहत एक मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है। धारा 19 (1), जिसके तहत प्रत्येक नागरिक को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है और उसे यह जानने का अधिकार है कि सरकार कैसे कार्य करती है, इसकी क्या भूमिका है, इसके क्या कार्य हैं आदि।
प्रत्येक नागरिक कर का भुगतान करता है अत: इसे अधिकार मिलते हैं और साथ ही उसे यह जानने का पूरा अधिकार है कि उसके द्वारा कर के रूप में दी गई राशि का उपयोग कैसे किया जा रहा है।
सूचना का अधिकार अधिनियम प्रत्येक नागरिक को सरकार से प्रश्न पूछने का अधिकार देता है और इसमें टिप्पणियां, सारांश अथवा दस्तावेजों या अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियों या सामग्री के प्रमाणित नमूनों की मांग की जा सकती है।
आरटीआई अधिनियम पूरे भारत में लागू है (जम्मू और कश्मीर राज्य के अलावा) जिसमें सरकार की अधिसूचना के तहत आने वाले सभी निकाय शामिल हैं जिसमें ऐसे गैर सरकारी संगठन भी शामिल है जिनका स्वामित्व, नियंत्रण अथवा आंशिक निधिकरण सरकार द्वारा किया गया है।
आरटीआई अधिनियम एक लोक प्राधिकरण द्वारा धारित सूचना तक पहुंच का अधिकार प्रदान करता है। यदि आपको किसी प्रकार की सूचना देने से मना किया गया तो आप निम्नलिखित विकल्पों का उपयोग करते हुए केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के समक्ष अपील / शिकायत दर्ज करा सकते हैं |
सूचना के अधिकार के अंतगर्त मांगी जा सकने वाली जानकारियां : आप इसके अंतर्गत कुछ भी जानकारी हासिल कर सकते है जैसे कि : किसी सड़क को बनाने में सरकार ने कितना व्यव किया ,प्रधानमत्री के रहन सहन पर किया जाने वाला खर्च ,राष्ट्रपति भवन में होने वाला खर्च किसी सरकारी योजना पर किया जाने वाला खर्च ,पंचायत द्वारा किसी योजना में किया जाने वाला व्यव या किसी भी प्रकार की अन्य जानकारी या उस से जुड़े दस्तावेजो की छायाप्रति की मांग कर सकते है |
सूचना के अधिकार के दायरे में आने वाले विभाग :
– राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री दफ्तर
– संसद और विधानमंडल
– चुनाव आयोग
– सभी अदालतें
– तमाम सरकारी दफ्तर
– सभी सरकारी बैंक
– सारे सरकारी अस्पताल
– पुलिस महकमा
– सेना के तीनों अंग
– पीएसयू
– सरकारी बीमा कंपनियां
– सरकारी फोन कंपनियां
– सरकार से फंडिंग पाने वाले एनजीओ
सूचना के अधिकार के दायरे में नहीं आने वाले विभाग :
– किसी भी खुफिया एजेंसी की वैसी जानकारियां, जिनके सार्वजनिक होने से देश की सुरक्षा और अखंडता को खतरा हो
– दूसरे देशों के साथ भारत से जुड़े मामले
– थर्ड पार्टी यानी निजी संस्थानों संबंधी जानकारी लेकिन सरकार के पास उपलब्ध इन संस्थाओं की जानकारी को संबंधित सरकारी विभाग के जरिए हासिल कर सकते हैं |
पिछले कुछ सालों में कुछ जागरूक नागरिको ने सूचना के अधिकार को इसकी परिभाषा में परिभाषित किया है सामाजिक तौर पर अधिक सक्रिय होकर उन्होंने तंत्र को पारदर्शिता बढाने को मजबूर भी किया है सो आज ही अपने आज पास के विकास कार्यों में होने वाले व्यव या योजना के बारे में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगे और अपनी जानकारी का दायरा बढाने के साथ पारदर्शी तंत्र बनाने में सहयोग करे |
Main Features:
★ 100% Free and Offline
★ This app is in easy Hindi Language.
★ Simple app. Works offline. No internet connection needed!
★ Professionally designed, user-friendly and intuitive interface.
★ Clear Hindi font for better readability.
★ Easy to use.
★ You can share any story to the social sites Whatsapp, facebook, instagram and other sites.